
India Export Crisis: भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर पर बड़ा झटका आने वाला है. अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर टैरिफ 50% तक बढ़ाने की घोषणा कर दी है. पहले से लागू 25% ड्यूटी ने ही इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी थी और अब यह नई दर कई उद्योगों को अस्तित्व संकट में धकेल सकती है.
कालीन उद्योग पर सबसे गहरा असर (India Export Crisis)
उत्तर प्रदेश के भदोही और वाराणसी इलाक़े, जिसे “कारपेट सिटी” कहा जाता है, इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. भारत में बने हाथ से बुने कालीन और पर्शियन स्टाइल रग्स का लगभग 60% हिस्सा अमेरिका को निर्यात होता है.
अभी तक 500 डॉलर का कालीन भेजने पर 125 डॉलर का टैरिफ देना पड़ रहा था. नई दर लागू होने के बाद यह बोझ बढ़कर 250 डॉलर तक पहुंच जाएगा.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे करीब 25 लाख बुनकरों और मजदूरों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है. इनमें से अधिकतर लोग खेती पर निर्भर हैं और अतिरिक्त आमदनी कालीन उद्योग से ही कमाते हैं.
रत्न-ज्वेलरी इंडस्ट्री में भी हड़कंप (India Export Crisis)
अमेरिका भारत के रत्न और आभूषणों का सबसे बड़ा खरीदार है. यहां लगभग 30% ग्लोबल ट्रेड भारत से जुड़ा हुआ है. लेकिन टैरिफ बढ़ने के बाद भारतीय रत्नों की कीमतें अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी. जेम्स और ज्वेलरी सेक्टर के उद्योगपति मानते हैं कि अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो निर्यात में दो अंकों की गिरावट तय है.
कौन से सेक्टर फिलहाल सुरक्षित? (India Export Crisis)
जेनेरिक दवाएं: अमेरिका अभी भी भारतीय फार्मा उत्पादों को टैरिफ-फ्री आयात कर रहा है. लेकिन संकेत मिले हैं कि जल्द ही इस पर भी 150% से 250% तक शुल्क लगाया जा सकता है.
सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स: इस क्षेत्र को अस्थायी छूट मिली हुई है, हालांकि उद्योग के जानकार मानते हैं कि यह राहत ज्यादा दिन टिकने वाली नहीं.
ऊर्जा सेक्टर (तेल और गैस): फिलहाल टैरिफ से बाहर है, लेकिन भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अमेरिका की सख़्ती इस क्षेत्र पर भी दबाव बना सकती है.
सरकार का रुख (India Export Crisis)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर जोर दिया. उन्होंने टैरिफ का सीधे तौर पर ज़िक्र नहीं किया, लेकिन यह स्पष्ट संकेत दिया कि भारत को वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अपनी ताकत पर भरोसा रखते हुए आगे बढ़ना होगा.
